सोमवार, 4 जुलाई 2022

गांव में परी मरी, अपनी-अपनी परी, Ganv mei pari mari

 

गांव में परी मरी, अपनी-अपनी परी

गांव में परी मरी, अपनी-अपनी परी, Ganv mei pari mari

 

 

एक संपन्न गांव था। वहां के लोग स्वस्थ और ताकतवर थे । अच्छी खेती होती थी। घर-घर दुधारू गाएं थीं। सब लोग एक परिवार की तरह रहते थे। सब में एक-दूसरे के प्रति सहयोग की भावना थी। एक -दूसरे के सुख- दुख में लोग शामिल होते थे। गांव संस्कार तथा सामाजिक भावनाओं से पूर्ण था।

यह गांव राज्य की सीमा पर बसा हुआ था। गांव के उस पार दूसरे राज्य सीमा लगती थी। दोनों राज्य की सीमावर्ती गांव आपस में प्रेम से रहते थे। लेकिन कुछ समय से इन राज्यों में आपस में तनाव चल रहा था। एकादि बार इस सीमा पर दोनों राज्यों के सैनिकों में झड़पें भी हो चुकी थी। दिनोंदिन युद्ध के आसार बनते नजर आ रहे थे । सीमा पर दोनों ओर की सेनाएं इकट्टी होने लगी थीं।

एक दिन अचानक गांव में तोपों के गोले बरसने लगे । गांव में हाहाकार गया। दोनों ओर की सेनाओं में भीषण युद्ध होने लगा था। देखते-ही-देखते गांव में पास के राज्य की सेनाएं घुस आई । गांव के जवान अपने राज्य की सेना के साथ मिलकर लड़ रहे थे। अब गांव युद्धस्थल वन गया था। देखते-ही-देखते गांव में लाशें बिछने लगी । इस राज्य की सेना वीरता से लड़ते हुए भी हार रही थी। दुश्मन की सेना ने गांव के लोगों को मारा और अनाज आदि आवश्यक सामग्री अपने साथ ले गए।

गांव में अधिकतर बूढ़े और बच्चे बचे थे। बचे हुए लोगों द्वारा गांव की सब लाशों का दाह -संस्कार करना संभव नहीं था। और न शेष घायलों की देखभाल संभव थी। बचे लोग अपने घर वालों के दाह -संस्कार और देखभाल में लगे रहे। लेकिन वे देखभाल के साधन नहीं जुटा पा रहे थे।

गांव में चारों ओर सन्नाटा पसरा था। चारों तरफ लाशें बिछी थीं। सियार और कुत्ते लाशों को सूंघ रहे थे। मरणासन्न घायल लोग धीमे-धीमे कराह रहे थे। गर्मी के दिन थे। दो- चार दिन बाद लाशें सड़ने लगी थीं। महामारी की बीमारी फैल गई। बचे स्वस्थ लोग भी इस बीमारी से मरने लगे थे। इसलिए लोग अपने- परायों का मोह त्यागकर गांव से भाग रहे थे।

भागते समय रास्ते में मिलने वाले गांवों से जो भी सहयोग मिलता था लेते चलते थे। किसी का कोई रिश्तेदार किसी गांव में होता था, तो वह उस गांव में रुक जाता था। गांव के लोग बाहर झुंड के झुंड खड़े हो गए थे। आर वे देख रहे थे कि कोई हाथ में सामान लिए, कोई खाली हाथ, कोई अपने बच्चे को कंधे पर रखे हुए भागे चले आ रहे थे। लोगों को मालूम पड़ गया था कि देश की सीमा पर दूसरे देश की सेना से युद्ध छिड़ गया है। सीमावर्ती गांव में लोगों का ल कत्लेआम हुआ है और वहां महामारी फैल गई है। लोग घर-बार सब कुछ छोडकर भागे आ रहे हैं।

देखने वालों में कुछ लोग कहने लगे कि ये लोग कैसे हैं जो अपनों को छोड़कर भागे आ रहे हैं। दो बुजूर्ग भी वहां थे। वे भागकर आने वालों की परेशानियों को जानते थे। उनमें से एक बुजुर्ग बोला- 'गांव में परी मरी, अपनी-अपनी परी'

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