शुक्रवार, 3 जून 2022

सुनार तो अपनी मां की नथ से भी सोना निकाल लेता है Sunar to Apni maa

 

 सुनार तो अपनी मां की नथ से भी सोना निकाल लेता है।

 

सुनार तो अपनी मां की नथ से भी सोना निकाल लेता है Sunar to Apni maa

            एक सुनार का भरा-पूरा परिवार था। एक दुकान थी जिसमें सोने-चांदी के गहने बनाए तथा ठीक किए जाते थे। सुनार के दो लडके दुकान पर ही काम करते थे। दोनों बाल-बच्चेदार थे। सबसे छोटा लड़का विवाह योग्य था। घरवाले चाहते थे कि उसका विवाह कर दिया जाए, लेकिन विवाह से पहले यह भी चाहते थे कि पहले वह कमाना शुरू कर दे। घर के सब उससे दुकान पर बैठने को कहते थे, लेकिन वह थोड़ा-बहुत बैठता फिर चला आता। वह काम करने में होशियार था लेकिन मन लगाकर काम नहीं करता था। घर के लोग उसे आलसी और सीधा समझते थे। सोने की दुकान पर तो होशियार होकर ही बैठना पड़ता है।।

अब तो रिश्तेदार भी उसके बारे में सोचने लगे थे कि घरवाले उसकी शादी क्यों नहीं करते? उसके परिवार वालों से रिश्तेदार कहते भी थे। कभी-कभी रिश्तेदार आपस में भी बातें करते थे कि कहीं वह कुंवारा ही तो नहीं रह जाएगा। कभी-कभी रिश्तेदार उस लड़के को भी समझाते थे कि दुकान पर मन लगाकर काम करे। मोहल्ले वाले तो उससे अक्सर कहते ही रहते थे, लेकिन वह मस्तमौला था। सबकी बातें इस कान से सुनता और उस कान से निकाल देता था।

अब सब लोग लड़के के बाप को समझाने लगे थे कि अधिक मत सोचो । उसका विवाह कर दो। विवाह के बाद जब जिम्मेदारी आती है तब सब काम ठीक से करने लगते हैं। लेकिन इस बात को वे मानने के लिए तैयार नहीं थे।

            एक बार उसके यहां नानी आई। नानी भी इसके लिए बहुत चिंतित थी। जब बात चली, तो बात यहां आकर फिर अटक गई कि कैसे माना जाए कि यह सोने-चांदी की दुकानदारी के लिए चतुर और चालाक है। तभी नानी ने कहा कि इस बात की परीक्षा ले लो। नानी ने कह तो दिया, लेकिन उसके दिमाग में ऐसा कोई तरीका नहीं था। सबने नानी से ही पूछा कि तुम्हीं बताओ कि परीक्षा कैसे लेनी चाहिए?

नानी थोड़ी देर तो सिर खुजलाती रही, फिर बोली, "उपाय समझ में आ गया। "उसने चुपचाप लड़के की मां को बताया। नानी ने लड़के की मां से कहा कि तुम्हारी नथ थोड़ी मैली हो गई है, उसकी सफाई और चमकाने के लिए लड़के को दे दो। इस पर लड़के की मां ने उसकी नानी से कहा, "इससे क्या होगा?" उसकी नानी बोली, तुम उसे नथ तो दे दो।"

दूसरे दिन मां ने अपने लड़के को नथ देते हुए कहा, "बेटा, मेरी नथ मैली हो गई है। इसको जरा चमकाकर लाना। किसी दूसरे से मत करवाना। वह मां की ओर देखने लगा। पास बैठी नानी ने कहा, "देखता क्या है? बढ़िया चमकाकर लाना।

वह मां की नथ लेकर दुकान पर चला गया। लगभग शाम के समय वह घर वापस आया। उसने मां के हाथों में नथ दे दी। मां ने देखा, नथ चमक रही है। उसकी मां के कुछ समझ में नहीं आया। उसने उसकी नानी को नथ बढ़ा दी।

            उसकी नानी नथ को घुमा-घुमाकर देखती रही। नानी को इस तरह देखकर लड़के की मां अचरज में डुब गई। नानी नथ को देखते हुए धीरे-धीरे मुस्कराने लगी। उसने पूछा, क्या हुआ अम्मा? मुस्करा क्यों रही हो? और नथ को घुमा-घुमाकर क्या देख रही हो?"

नानी बोली, "बेटी करले लड़के की शादी । लडका कमा खाएगा। बहू देखी नहीं रहेगी। "लड़के की मां की समझ में कुछ नहीं आया। उसने आश्चर्य से कहा, "अम्मा, तू क्या पहेलियों बुझा रही है? "लडके की नानी

बोली, "हां बेटी, 'सुनार तो अपनी मां की नथ से भी सोना निकाल लेता है।" उसने पास बुलाते हुए कहा, '" देख बेटी, तेरी नथ में यहां से थोड़ा सोना निकाल लिया है तेरे लड़के ने। वह जानता था कि मां मेहनत के पैसे

तो देगी नहीं। इसलिए उसने थोड़ा सोना निकालकर अपनी मजदूरी पूरी कर ली। जो मां से मजदूरी के पैसे ले सकता है, वह किसी पर मजदूरी के पैसे नहीं छोडेगा।'

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