शुक्रवार, 3 जून 2022

हीरे का चोर हो या खीरे का, चोर तो चोर ही होता है Heere ka Chour ya khire ka

 हीरे का चोर हो या खीरे का, चोर तो चोर ही होता है

 

हीरे का चोर हो या खीरे का, चोर तो चोर ही होता है Heere ka Chour ya khire ka

 

            नदी के किनारे एक गांव था। गांव के लड़के चौपालों तथा उनके आस -पास खेला करते। कभी गांव के बाहर खेतों में कबड्डी खेलते और कभी नहर पर जाकर ऊधम मचाते। पानी में स्नान करते और उछलते कृदते। कभी रेत में लोटते और पकड़ा- पकड़ी का खेल खेलते।

            जब लड़के नहा-धोकर नहर से चलने को होते, तो कुछ शरारती लड़के खेतों में चले जाते और फल तोड़कर लाते। आपस में मिल बांटकर खाते। इसी तरह घर से कहीं आते -जाते समय गन्ना तोड़कर चूसते। कोई मांगता तो खेत वाला कह देता कि तोड लो खेत में से।

कभी-कबार कोई चीज खेत में से तोडकर खा लेता, तो  बुरा नहीं मानते थे। वैसे तो अधिकतर लोग पूछकर ही तोड़ते थे और कोई भी मना नहीं करता था। कोई शरारती लड़का अधिक फल तोड़ता, तो उसको भी अनदेखा कर देते थे । यदि जरूरी समझा, तो साधारण तौर से उसके पिता या घर के किसी व्यक्ति से कह देते थे।

गांव में एक लडका बहुत शरारती और झगड़ालू किस्म का था। बात-बात पर झगड़ा कर देता था। वह कभी इस खेत से कभी उस खेत से फल तोड़ लिया करता था। खेत वाले के मना करने से वह लड़ने लगता था। फलों को लेकर ही एक किसान की इससे कहा-सुनी हो गई। गाली- गलौज हुई और झगडा होते-होते बच गया। उस किसान ने अंत में यही कहा कि अब की खेत से कुछ तोडना तब देखना।

कुछ समय बाद खीरों की फसल आई। थोड़े ही दिनों में खीरे खाने योग्य हो गए। शरारती लड़कों ने खीरे तोड़कर खाना शुरू कर दिए। वह शरारती लडका उस किसान के खेत में खीरे तोड़ने के लिए जाने लगा। एक दिन वह कई लड़कों को साथ लेकर गया और उस किसान के खेत से तमाम खीरे तोड़ लाया। उस किसान को पता लगते ही खरी-खोटी कहना शुरू कर दी। गांव के कुछ आदमियों ने कहा कि कोई बात नहीं लड़का है। लडने से कोई लाभ नहीं। लडाई में दोनों को नुकसान होता है। हां, उसके घरवालों से शिकायत अवश्य कर दो। वह उस समय चुप रह गया।

            घरवालों के न डांटने पर उस लड़के के होसले बढ़ते गए। वह नजरें बचाकर उसके खेत के खीरे तोडकर खाता रहा । अन्य लड़कों से उस किसान को पता चलता रहा। जब किसान ने इस बात की चर्चा अपने लोगों से की, तो उन्होंने काजी के यहां शिकायत करने की बात कही। उसकी कुछ समझ में आया और एक दिन वह काजी के यहां जा पहुंचा। उसने उस लड़के के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए पूरा वाकिआ विस्तार से सुनाया। काजी  ने अपने अरदली को भेजकर लड़के और उसके बाप को बुलवा लिया।

काजी ने पहले लड़के से पूछा, "क्यों बालक, तुम इसके खेत से खीरे तोड़कर खाते हो?"लडके ने कहा, साहब, सब खेतों में इसी तरह तोडकर खाते हैं। कोई बुरा नहीं मानता। काजी ने फिर पूछा, "क्या तुमने खीरे इससे पूछकर तोड़े थे?" लड़के ने कहा, "इसमें पूछने की क्या बात है साहब। कोई तोड़ने से मना नहीं करता इसलिए कोई किसी से पूछता नहीं। काजी ने एक नया प्रश्न किया, "जब तुमसे इसने अपने खेत से खीरे तोड़ने को मना किया था, फिर क्यों इसके खेत से खीरे तोड़े ?" लड़का थोड़ी भोली सूरत बनाकर बोला, "साहब, इसमें क्या हो गया? खाने की चीज है, वो तो इसी तरह खाई जाती है। " इसके बाद काजी ने उस लड़के के बाप से पूछा, "तुम क्या कहते हो इस मामले में?" लड़के के बाप ने हाथ जोड़ते हुए कहा, "साहब, जो लड़का कह रहा है ठीक ही कह रहा है।' काजी ने डांटते हुए कहा, "जानते हो । बिना पूछे किसी की चीज लेना चोरी का जुर्म होता है। "काजी की बात सुनकर लडके का बाप घबराकर बोला, " साहब, एक खीरा तोड़कर खा लेता होगा। एक खीरे की कीमत क्या है? ऐसा तो अक्सर लोग करते हैं। खीरा कोई जवाहरात तो है नहीं, जो चोर कहलाएगा"

काजी बोला- हीरे का चोर हो या खीरे का, चोर तो चोर ही होता है'। इतना कहने के बाद कारजी ने हुक्म दिया, "इस चोर को गिरफ्तार कर लो।"

 

 

 

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