कौवा कान ले गया
एक लडका बहुत सीधा था। लोग उसे कम दिमाग का मानकर परेशान करते थे। छोटा हो या बड़ा, सब उससे उलटा-सीधा कहकर मजा लेते थे। वह अधिकतर लोगों की झूठी बातों को सच मान लेता था। वह हमेशा हंसता रहता था। वह लोगों की झूठी बातों पर गुस्सा नहीं करता था। कोई भी उससे ऐसा मजाक नहीं करता था जिससे वह गंभीर हो जाए या दुखी हो जाए।
उसके माता-पिता जरूर दुखी होते थे कि इतना बड़ा होने पर नासमझ और सीधा सादा है। सरल स्वभाव का है। इसके माता पिता चाहते थे कि वह अन्य बालकों की तरह होशियार हो । साहसी और निडर हो । बात करने में ठीक हो । बुद्ध की तरह चुपचाप न खड़ा रहे। उसके माता-पिता को तब भी दुख होता था जब वह बालकों के साथ खेलता था और तब कोई बालक उसे पीट देता था। वह बेचारा अपना बचाव करता रहता था। वह कभी उलट बार नहीं करता था।
एक बार कई लड़के खेलने के बाद बैठकर आराम करने लगे । साथ ही बातें शुरू हो गई । आपस में हंसी-मजाक करने लगे। कोई अपने घर की बातें करता, तो कोई अपने स्कूल की। कोई अपने दोस्त की बातें करता, तो कोई अपने रिश्तेदार की। अंत में मोहल्ले के बुजुर्गों पर बातें चलते चलते बात उसी सीधे सादे लड़के पर आकर रुक गई।
जिस लड़के की वे बात कर रहे थे, संयोग से वह सामने से आता दीख पड़ा। सब लोग खामोश हो गए और उसकी ओर देखने लगे। वह भी उनकी ओर देखता हुआ चलता आ रहा था। वह सामने से होते हुए निकल गया। सब बालक उसे जाते देखते रहे। किसी को कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि उससे क्या मजाक कया जाए। क्या बहाना किया जाए?
जब सब बालक उसे जाते देख रहे थे, तब ही कौवा एक पेड से उड़ा और उसके कान के पास से निकल गया। शायद कौवे के पंख का किनारा उसके कान से छू गया। वह थोड़ा झूका और कौवा को देखता रहा। तब ही अचानक एक लड्के ने जोर से कहा, "अरे, ओए तेरा कौवा कान ले गया।
इतना सुनते ही उसके कलेजे में धक- सी हुई और उड़ते कौवे को देखता हुआ उसी की तरफ भागने लगा। वह भागते हुए जोर-जोर से चिल्लाता जा रहा था, "कौवा कान ले गया।
एक जगह कुछ लोग बैठे हुए थे। उसकी आवाज सुनते ही सबकी नजरें उसकी ओर मुड गई। उन्होंने देखा कि वह चिल्लाते आ रहा है कि कौवा कान ले गया। सबकी हंसी निकल गई। जब उनके करीब आया, तो एक ने पूछा, "क्या बात है? क्यों भागता जा रहा है?" वह रुककर बोला, "वह कौवा जो उड़ता जा रहा है।" बीच में ही वह व्यक्ति फिर बोल पड़ा, "हां, वो उड़ता जा रहा है। कौवा ने क्या किया तेरा?" वह बोला, "कौवा कान ले गया। मैं उससे अपना कान लेने जा रहा हूं ।"
लोग उसकी नासमझी और भोलेपन पर हंस पड़े । उन्हीं में से दूसरा व्यक्ति बोला, "अपने कान देखे हैं तूने? कौन-सा कान ले गया कौवा?" इतना सुनते ही उसके दोनों हाथ कानों पर चले गए । उसने बड़े इत्मीनान से अपने कान बार-बार टटोले । उसे विश्वास हो आया कि दोनों कान हैं। उसकी जान में जान आई और बड़ा भोला बनकर कहने लगा, "वह तो कह रहा था-'कौवा कान ले गया'।"
सब लोग उसके भोलेपन पर मुस्कराने लगे।
