न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी
बहुत पुरानी बात है। ग्वालियर में एक राजा था। उसके समय में ग्वालियर बहुत प्रसिद्ध था। यहां एक तेली रहता था, जो राजा के खास आदमियों में से एक था। वह राजघराने के लिए तेल की सारी व्यवस्था करता था। अन्य खास लोगों की तरह उसका भी राजा के यहां आना-जाना लगा रहता था।
राजा के यहां राधा नाम की एक नृत्यांगना थी। वह बहुत सुंदर थी और दरबार में नृत्य किया करती थी। तेली का नृत्यांगना की ओर खिचाव बढ़ता चला गया। धीरे-धीरे उसने उससे मेल-जोल बढ़ाना शुरू कर दिया और उसके साथ उठने बैठने लगा। वह उसके लिए प्रेम भावना से भरा रहता था।
एक बार तेली ने नृत्यांगना से मन की बात कह दी। उसने कहा कि मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूँ ।
इसका उत्तर देते हुए राधा ने कहा, "मेरा आपके साथ विवाह संभव नहीं है। राजा यह विवाह होने नहीं देगा। यदि राजा हां कर दे, तब ही विवाह संभव हो सकता है।"
तेली ने कहा, "राजा से कौन बात करेगा?"
राधा ने कहा, " यह बात तो आपको ही करनी पड़ेगी।"
एक दिन साहस बटोरकर वह राधा से विवाह करने की बात की चर्चा राजा से कर बैठा। हालांकि राजा जानता था कि तेली और राधा के मेल-जोल की बातें दरबार में ही नहीं, नगर में भी फैल गई हैं, लेकिन राजा को यह मालुम न था कि तेली राधा से विवाह करने के लिए मन बना बैठा है। राजा उलझन में पड़ गया। तेली राजा के खास लोगों में से एक था। राधा उसके दरवार की शोभा थी। राजा ने तेली से तुरंत कुछ नहीं कहा। उस समय इतना ही बोला कि मैं राधा से पहले पूछूंगा कि वह क्या चाहती है? विवाह उसे करना है। इसलिए बिना उससे पूछे कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इसके बाद तेली वहां से चला आया। जब तेली राजा से दोबारा मिला, तो राजा ने कहा, "राधा से तुम्हारा विवाह हो सकता है, लेकिन उसकी एक शर्त है।
तेली ने पूछा, "वह शर्त क्या है?
राजा ने कहा, "राधा का कहना है कि जिस दिन घानी चलाकर नौ मन तेल निकालकर इकट्ठा कर लोगे, उस दिन विवाह कर लूंगी।"
तेली उलझन में पड़ गया। उसने पूछा, "महाराज, इसमें नौ मन तेल की शर्त का क्या मतलब हैं?"
राजा ने कहा, " वह उसी नौ मन तेल में अंतिम बार नाचकर तुमसे विवाह शर्त कर लेगी। तेली चुप हो गया। नौ मन तेल घानी से कैसे निकाला जा सकता है, फिर भी वह उसे संभव बनाने के लिए तैयार हो गया। उसने राजा से कहा, यह शर्त मुझे मंजूर है। "
इस पर राजा ने कहा, " हमारे तेल में कटौती नहीं होनी चाहिए।" राजा ने सोचा था कि जब उसके लिए ही पूरा तेल नहीं निकाल पाता है, तो अलग से नौ मन तेल कैसे निकाल पाएगा। शायद इसलिए वह मना कर देगा, लेकिन तेली का उत्तर हां में पाकर राजा चकित रह गया।
तब से वह रात-दिन तेल निकालने में लगा रहता। बड़ी मुश्किल से समय निकालकर नहाता, खाना खाता और फिर लग जाता तेल की घानी पेरने में। जितना वह तेल निकालता, उसमें से अधिकांश राजा के यहां चला जाता। कुछ दिन बाद वह बीमार हो गया, लेकिन उसने तेल निकालना न छोड़ा।
इस शर्त के बारे में सारे शहर में बराबर चर्चा होती रहती। एक दिन कुछ लोग बैठे आपस में बातें कर रहे थे कि इतने दिन हो गए. अभी तक तेली नौ मन तेल इकट्ठा नहीं कर सका, बेचारा रात-दिन लगा रहता है तेल का घानी पेरने में ।
बीच में से एक बुजर्ग बोला, "देख लेना, 'न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी' ।"
यही हुआ। नौ मन तेल इकटठा करने के लालच में तेली और अधिक बीमार पड़ गया और एक दिन उसकी मृत्यु हो गई।
