शुक्रवार, 27 मई 2022

मोकों और न तोकों ठौर Moko aur n toko thour n

 

मोकों और न तोकों ठौर

 

मोकों और न तोकों ठौर  Moko aur n toko thour n

एक गांव में दो आदमी थे। उनके नाम थे मनसुख और मनफूल। मनफूल मनसुख से छ: साल बड़ा था लेकिन थे दोनों ढलती उम्र के। काम करने के बाद से शाम को मनफूल अपने चबूतरे पर आ बैठता था। साथ ही मनसुख के आने का इंतजार करता रहता था। मनसुख भी जब अपने काम से फारिक हो जाता था, तो सीधा मनफूल के पास जा पहुंचता । फिर दोनों बातें करने में खो जाते ।

            इन दोनों के बारे में गांव के लोग अच्छी तरह परिचित थे। जब वे अपस में लड़ते झगड़ते थे, तो एक-दो दिन बोलना बंद कर देते थे। वे दोनों गांव के लोगों से बातें करने की कोशिश करते लेकिन कोई उनसे ढंग से बोलता न था। इसलिए एकादि दिन बाद दोनों का गुस्सा ठंडा पड़ जाता था और फिर आपस में बोलना शुरू कर देते थे।

            एक दिन दोनों में कुछ अधिक कहा सुनी हो गई। फिर तो दोनों ने एक-दुसरे से संबंध तोडने की बात कह दी। अब वे अलग-अलग अपने पड़े रहते। कभी गांव में घूमते रहते। कभी घर से बाहर ही नहीं निकलते। कभी एक दूसरे को देखते हुए निकल जाते । इस स्थिति से इनके घर वाले भी परेशान थे। दोनों ऐसे रहने लगे जैसे घर में मातम छा गया हो।  गांव वाले भी सोचने लगे थे कि अबकी बार इनकी दोस्ती टूट गई । अब दोनों अलग-अलग बने रहते। गांव वालों को दोनों की दशा पर दया तो आती थी लेकिन कोई अपने पास फटकने नहीं देता था।

            मनफूल हमेशा की तरह चबूतरे पर बैठा रहता और सोचता रहता कि वह अब नहीं आएगा। फिर भी उसे लगता कि शायद कभी आएगा। एक दिन मनफूल चबूतरे पर बैठा मनसुख के बारे में यही सोच रहा था। उसी समय उसे मनसुख आता दिखाई दिया। वह उसके बराबर आकर गली में रूक गया । मनफूल बोला नहीं । जब मनसुख चलने लगा, तब मनफूल बोला, "आजा, जा कहां रहा है।'' मनसुख चबूतरा चढ़कर उसके पास पहुंचा, तो मनफूल ने कहा, "यहां बैठ जा।" मनसुख बैठ गया और चुपचाप बना रहा। मनफूल फिर बोला,"कुछ बोलेगा भी क्या गुंगा बना रहेगा। " मनसुख बोला, "भैया, माफ कर दो। अब कभी नहीं लड़ूंगा।" मैं भी कभी नहीं लड़ूंगा । हम दोनों जानते हैं कि हम एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते।

इतना कहकर मनफूल ने उसे उठाया और गले से लगा लिया।

गांव के कुछ लोग वहीं गली में खड़े होकर यह दृश्य देख रहे थे। दोनों की बातें सुनी । फिर सब लोग चलने लगे। चलते चलते एक ने कहा, " ठीक है भैया, 'मोकों और न तोकों ठोर'।"

दोनों दोस्त उसकी ओर देखते रह गए।

 

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