भिखारी क्या मांगे भिखारी से
रमजान का महीना था। चारों ओर खुशी का माहोल था। लोग अपने- अपने घरों से निकलकर मस्जिद की ओर जा रहे थे। मस्जिद में जाने वाले लोगों का तांता लगा हुआ था। अजान की आवाज चारों और दूर दूर तक सुनाई पड रही थी। मस्जिद के सामने सड़कों के किनारों पर फर्कीर थे। कुछ सड़क के किनारों पर दोनों ओर बैठे थे। कुछ चहलकदमी कर रहे थे। मस्जिद के दरवाजे से भी कुछ भिखारी मस्जिद में आने तथा जाने वालों से भीख मांग रहे थे।
अन्य फकीरों से हटकर एक फकीर था जो मस्जिद के सामने सडक पर चहलकदमी कर रहा था। अपनी धुन में अलमस्त । जिससे चाहा मांग लिया, जिससे नहीं चाहा नहीं मांगा। उसने दखा कि नगर बादशाह मस्जिद के बाहर खड़े हैं। वह फकीर उनके पास जाकर रुका। अभी आंखों से आंखें ही लडी थीं कि बादशाह उस फकीर का मकसद समझ गया । उसने तुरंत कहा, "थोड़ा रुको। अभी आता हूं । नमाज का समय हो गया है।" वहीं बादशाह का सेवक खड़ा था। उसकी नजर उस फकीर पर थी। वह फकीर वहीं सड़क पर चहलकदमी करता रहा। कुछ समय तक वह इसी प्रकार चहलकदमी के बाद थोड़ा रुका और चल दिया।
नवाज अता करके बादशाह मस्जिद से बाहर आ रहे थे। बाहर आकर देखा, तो वह फकीर गायब था। बादशाह ने वहां खड़े अपने सेवक से पुछा, वह फ़कीर कहां गया?" सेवक ने एक और इशारा करते हुए कहा, "जहांपनाह, वह जा रहा है।" बादशाह ने उसे बुलाकर लाने के लिए कहा। सेवक तेज कदमों से फकीर की ओर बढ़ गया। बादशाह उसके जाने का कारण समझ नहीं सका। कुछ सोचने लगे। तब तक सेवक के साथ वह फकीर आ गया।
बादशाह ने उससे सहज होकर कहा," मैंने आपसे कहा था कि नमाज का समय हो गया है। थोड़ा रुकिए।" उस फकीर ने बहुत छोटा उत्तर दिया, "बस, यूं ही।"
नगर बादशाह को एक फकीर से बाते करते देखकर लोग ठिठक गए। कुछ बुजूर्ग भी उनकी बातें सुनने के लिए रुक गए थे।
जब बादशाह ने उसका उत्तर सुना, तो अजीब -सा लगा। फिर भी बादशाह, सहज होकर उससे पूछ बैठा, "फिर भी।" बादशाह के आग्रह को फकीर ठुकरा न सका। बादशाह को उत्तर देते हुए फकीर बोला,"आपके जाने के बाद कुछ देर बाद मेरा मन बदल गया। मन ने कहा- जो खुद दूसरे से मांगने आया है। मैं उससे क्या मांगूं? एक भिखारी दूसरे भिखारी से क्या मांगेगा?"
इतना सुनते ही बादशाह के पैरों से धरती निकल गई । बादशाह सोचने लगा-ठीक तो कहता है फकीर । दोनों भिखारी ही हुए । मैं भी तो खुदा से कुछ मांगने आया था। बादशाह सोच ही रहे थे कि तब तक भीड़ में से एक बुजुर्ग की आवाज सुनाई पड़ी, "सुभान अल्लाह । क्या बात कही "भिखारी क्या मांगे भिखारी से।"
