शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

सहज पके सो मीठा होय Sahaj pake so mitha hoy

 सहज पके सो मीठा होय

 

 

सहज पके सो मीठा होय Sahaj pake so mitha hoy

 

एक बार एक आदमी अपनी रिश्तेदारी में गया। उसकी रिश्तेदारी गांव में थी। वहां उसकी खुब खातिरदारी की गई। सुबह खाना खाकर वह रोज रिश्तेदार के साथ घूमने के लिए खेतों पर जाता। रिश्तेदार अपने खेतों को दिखाता। खेतों में खड़ी फसल के बारे में बताता। वहीं खेतों में एक फूंस की झोंपडी थी। उसी में उसका रिश्तेदार बैठता था। आस-पास के खेतों से लोग भी आकर बैठ जाते थे। उसको भी उसी झोंपडी में बैठाता था।

            वहीं बैल बंधते थे। उसका रिश्तेदार उन बैलों की खूबियों के बारे में बताता रहा । वह नगर निवासी था। इसलिए वह प्रत्येक वस्तु को जिज्ञासु की भांति देखता। प्रत्येक की बातों को ध्यान से सुनता। इसके पहले उसने गांव की वस्तुओं तथा पेड़-पौधों को इतने पास से नहीं देखा था।

एक दिन उसके रिश्तेदार ने उसे अपना बाग दिखाने का कार्यक्रम बाग खेतों से लगभग एक मील दूर था। वे दोनों खेतों की मेड के रास्ते से बाग की ओर चल दिए। करीब-पंद्रह-बीस मिनट के बाद बाग में पहुंच गए। वहां रिश्तेदार के ताऊ और अन्य लोग थे। उसकी वहां आव-भगत हुई ।

वह आमों का बाग था। इसलिए उसमें अधिकतर आमों के ही पेड थे। वह चारपाई पर बैठा लोगों से बातें करता रहा और अपने चारों ओर आम के पेड़ों को भी देखता रहा। उसका रिश्तेदार बोला, "चलो बाग दिखाते हैं।" वह अपने रिश्तेदार के साथ चल दिया । दो- एक लोग और उसके साथ हो लिए। वह उनके साथ बाग में किनारे-किनारे चलता रहा, इधर-उधर देखता रहा। ऊंचे-ऊंचे पेड़ और उन पर आम लटके हुए थे। किसी पेड़ में छोटे आम लगे थे किसी पेड़ में बड़े। वह चारों ओर सिर घुमा-घुमाकर देखता जा रहा था। फिर उसको बाग के अंदर घुमाया । अंदर कई किस्मों के आम लगे थे।

बाग में घूमकर वे वापस आ गए और चारपाई पर बैठ गए। उसके रिश्तेदार ने आवाज लगाई, "ओ रामसनेई, मेहमान के लिए पके आम लाना।" रामसनेई आम लेने के लिए चला गया। थोड़ी देर बाद वह अंगोछे में कुछ आाम लेकर आा गया।

एक अच्छा-सा आम साफ करके उसे दिया गया। उसने खाया तो बहुत प्रसन्न हुआ और कहा, "इतना स्वादवाला और मीठा आम तो मैं पहली बार खा रहा हूं ।" उसके रिश्तेदार ने कहा, " आप ठीक कह रहे हैं । आप शहर में रहते हैं। वहां ऐसे आम नहीं पहुंचते। व्यापारी लोगों के पास अधपके आम पहुंचते हैं। उनको रखकर पकाया जाता है। इस प्रकार से पकाए गए फल बाजार में बेचे जाते हैं।' दूसरा आदमी बोला, "पेड़ पर पके फल की बात ही कुछ और होती है।"

 एक बुजुर्ग वहां थे। उन्होंने कहा, "शहरी भाई, 'सहज पके सो मीठा होय ।"

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