गर खुदा को मेरी जरूरत है, खुद लैला बनके आ जाए
मजनूँ लैला से बहुत प्रेम करता था । वह लैला के प्रेम को ही अल्लाह का प्रेम मानता था। उसको इतना प्रेम था कि उसके लिए स कुछ त्याग दिया। लैला नहीं रही, तो मजन् उसके प्रेम में पागल हो गया और दर-दर भटकने लगा। घूमता घूमता वह मक्का मदीना जा पहुंचा । वहां हज़ के लिए लोग चले आ रहे थे। मेला जैसा लगा था। भीड-की भीड़ चली आ रही थी। मदीना में हज यात्रियों के रास्ते पर तमाम फकीर सडक के किनारे किनारे बैठे थे। मजनू हारा-थका तो था ही। वह भी फकीरों की कतार में बैठ गया। उसका सिर घुटनों पर और धरती की ओर मुंह । सिर के दोनों ओर बाहें लपेटे हुए। पैर के पंजे आगे भीड की ओर पसरे थे। जब भीड़ का तेज रेला आता था, तो फकीर पैर अपनी ओर खींच लेते थे। सभी फकीर सावधान होकर बैठे थे, लेकिन मजनू दीन दुनिया से बेखबर था। इसलिए भीड़ के रेले के सैकड़ों लोगों के पैर मजनू के पंजों को कुचलते हुए निकल जाते। अगल-बगल में बैठे फकीर उसको होशियार करते लेकिन वह अपनी धुन में डू्बा रहता। कभी-कभी उसके मुंह से 'लैला लैला' की पुकार निकल जाती।
दुनिया का नजारा देखने के लिए अल्लाह के पैगंबर भी उस रास्ते से निकले। पैगंबर की नजर जब मजनू पर पड़ी, तो देखकर हैरत में रह गए। भीड उसके पैर के पंजों को कुचलती चली जा रही थी। वह पैरों को हटाता ही नहीं था। बस, रह रहकर उसके मुंह से लैला लैला निकल रहा था। पैगंबर थोड़ी देर देरखते रहे और आगे बढ़ गए।
पैगंबर ने अल्लाह को मजनूँ की सारी दास्तान कह सुनाई। दो चार दिन बाद पैगंबर दोवारा फिर उसी रास्ते से निकले। उन्होंने देखा कि मजनूँ आज भी उसी हालत में है और यात्रियों की भीड़ उसके पंजों को कुचलती चली जा रही है। पहले की ही तरह वह थोड़ी देर देखते रहे और फिर आगे बढ़ गए।
पैगंबर ने फिर अल्लाह को मजनू के बारे में बताते हुए कहा, "आज भी मजनूँ उसी स्थिति में था। आज भी भीड़ उसके पंजों को उसी तरह कुचलती जा रही थी। उसी तरह से मजनू के मुंह से रह -रहकर लैला का नाम निकल रहा था। अल्लाह ने एक लंबी सांस ली और गंभीर होकर कहा, जाओ, उसको यहीं लेकर आओ। उससे कहना कि अल्लाह ने तुम्हे याद किया है। तुम्हारी लैला वहीं मिल जाएगी।
पैगंबर अल्लाह का संदेश लेकर मजनू के पास जा पहुंचे । उसने मजनू से कहा, "मैं अल्लाह का पैगंबर हूँ। अल्लाह ने आपको बुलाया है। मेरे साथ चलो । जिस लैला को तुम पुकार रहे हो, वह वहीं पर है, मिल जाएगी।
पैगंबर की बात सुनकर मजनू ने उनींदी आंखें खोलीं और तिरछी नजर से देखा। मजन ने पैगंबर मे कहा- 'गर खुदा को मेरी जरूरत है, खुद लैला बनके आ जाए' ।
इतना कहकर मजनू ने पलकें बंद कर लीं और मुंह से फिर 'लैला-लैला' निकलने लगा।
