गुरुवार, 19 मई 2022

बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया Baap Bada Na Bhaiya

 

बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया

बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया

 

          एक परिवार था। उस परिवार में सात लोग थे। तीन भाई, दो बहिनें और उनके माता-पिता। लड़कों की दो बहिनें अपनी-अपनी ससुराल में थीं। सब भाई अपने-अपने परिवार के साथ अलग-अलग रह रहे थे। बीच का भाई दुसरे नगर में जाकर नौकरी कर रहा था। छोटा भाई अपने नगर में ही एक धंधा कर रहा था। बहुत अच्छी कमाई थी उसकी। सबसे बडा भाई सबसे गरीब था। वह मजदूरी करके अपने परिवार का गुजारा कर रहा था।

बुढ़े मां-बाप अकेले रह रहे थे। बड़ा लड़का और मां-बाप एक ही मकान में अलग-अलग रह रहे थे। अलग-अलग ही खाना बनता था। छोटा लड़का पास में ही अलग मकान बनाकर रह रहा था। उसने अपने लिए सब सुख सुविधाएं जुटा ली थीं

           छोटा लड़का जब कोई सामाजिक कार्य करता, तो वह न अपने माता- पिता की कोई राय लेता और न अपने बड़े भाइयों की। अगर वे कोई अच्छी बात बताते या सामाजिक मर्यादा की बात करते, तो वह उनको झिडक देता और उनकी बातों को अनसुनी कर देता । कभी-कभी मोहल्लेवालों के सामने उन्हें अपमानित कर देता।

वह अपने यहां आनेवालों की खुब खातिरदारी करता और जाते समय विदाई के खूप में रिश्तेदारों को कुछ-न-कुछ देता था। रिश्तेदार भी उसका ही सबसे अधिक सम्मान करते। जो भी आता, उसके यहां ही जाता था। उसके माता-पिता तथा बड़े भाई को बाद में पता चलता था। रिश्तेदार उसके माता-पिता और बड़े भाई के पास कुछ समय के लिए जाते और बैठकर चले आते। और वे जब अपने घर वापस जाते, तो उनसे बिना मिले सीधे छोटे लड़के के घर से ही चले जाते। उसकी बहिनें भी सीधी उसी के घर पहुंचती थीं। बाद में बड़े भाई और मां-बाप के यहां। लेकिन जब सस्राल वापस जातीं, तो छोटे भाई के यहां से ही जातीं। बाद में घरवालों को पता चलता कि लड़कियां चली गई हैं।

          वह अपने भाइ्यों और मां-बाप की तमाम अपमानजनक बातें करता, तो रिश्तेदार और बहिनें उन बातों का विरोध नहीं करते बल्कि उसकी हाँ में सिर हिलाते। जब बड़े भाई और मां-बाप के पास रिश्तेदार जाते थे, तो वे छोटे लडके द्वारा अपने मां-बाप को कहे अपमानजनक बातों का जिक्र बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया नहीं करते थे। जब मां-बाप और बडा भाई छोटे भाई के अनुचित व्यवहार और धृष्टता की चर्चा करते. तो यहां भी वे चुप्पी साधे रहते। न हा कहते और न ना कहते। इन्हीं को समझा-बुझाकर चले जाते ।

एक दिन किसी काम से उसकी बहिन और बहनोई आए। रात को छोटे भाई के यहां रुके और सुबह चले गए। सुबह जब उसके मां-बाप घर से निकले, तो उन्हें मोहल्लेवालों ने बताया कि तुम्हारी लड़की और दामाद आए थे। उसका बाप हक्का-बक्का रह गया । कुछ नहीं बोला। एक व्यक्ति बला, भाई, ये बिचारे खुद लाचार हैं । ये उनकी क्या सेवा कर सकते थे। इसलिए वे इनके छोटे लड़के के यहां ही ठहरते हैं।' दूसरा व्यक्ति बोला, 'मान- मर्यादा भी कुछ होती है । अरे भाई, जाते वक्त तो सबसे मिलकर जाते हैं।''

          एक वृद्ध सबकी बातें चुपचाप सुन रहा था। वह चु्पी तोड़ते हुए बोला, ओरे भाई बात साफ है। उसकी नजर में 'बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा सब लोग उसकी ओर देखने लगे। लड़के का बाप बोला, "हां भाई, तुम बिल्कुल ठीक कहते हो।"

 

 

 

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