शुक्रवार, 20 मई 2022

चंडूखाने की खबर Chandu Khane Ki Khabar

 

चंडूखाने की खबर

 

चंडूखाने की खबर

दिल्ली के पश्चिम में एक चंडूखाना था। वहां शहर के चंडु्बाज इकट्ठे होते थे। चंडूबाज अफीम का गाढ़ा शीरा चिलम में रखते। उसके ऊपर आग रखकर चिलम पीते। चारों तरफ धुआं ही धुआं भरा रहता नशीला वातावरण हो जाता था। चंडूबाज नशे में वहीं पड़े रहते। उनमें आपस में तमाम बेतुकी बातें होती रहती थीं, जिनका न सिर होता था न पैर। ऊल-जलूल बातों को एक-दूसरे से बढ़-चढ़कर बताते और अपनी-अपनी शेखी बघारते थे।

            उस समय दिल्ली का बादशाह नादिरशाह था नादिरशाह बहुत जालिम शासक था। उसके राज में यह भय बना रहता था कि वह कब कहां कहर ढा दे। किसको मौत के घाट उतार दे। महिलाओं की इज्जत-आबरू खतरे में रहती। जनता को भयभीत करने के लिए उसने बस्तियों में गश्ती सैनिक तैनात कर दिए थे। सैनिक भी मनमानी करने लगे थे। इसीलिए लोग जब आपस में बातें करते, नादिरशाह की बहत बुराई किया करते थे। लोग ईश्वर-अल्लाह से प्रार्थना करते कि उसके कहर से रक्षा करे। जब नादिरशाह ने दिल्ली पर कब्जा किया था तो शहर में जगह- जगह नरसंहार करवाया था। ऐसे हालात दोबारा न आए, जनता सोचा करती थी।

एक दिन चंडूखाने में खूब गपशप चल रही थी। चंडूबाज अपनी-अपनी हांक रहे थे। एक चंडूबाज नशे में धूत दरवाजे पर खड़ा था। थोडी देर बाद वह जोर से बोल उठा, "मारा गया साल, मारा गया।"

कुछ चंडूबाज उसकी ओर देखने लगे । उनमें से एक उठा और उससे पूछने लगा, "अबे कौन मारा गया भूतनी के।"

अब तो दो-चार और आ गए उसके पास। वे एक साथ बोले,"मारा गया...मारा गया नादिरशाह।"

वह फिर बोला, "मारा गया स्साला।"  इसके बाद "मारा गया नादिरशाह, मारा गया'' यह कहता वह बाहर चला गया। चंडूबाजों में से एक बोला, " चलो, हम भी बताते हैं अपने मोहल्लेवालों को मारा गया नादिरशाह।" वह भी कहता हुआ चंडूखाने से बाहर चला गया। इस प्रकार एक-एक करके निकलते गए। चंडूखाना खाली हो गया।

 दिल्ली के कोने-कोने से चंडूबाज़ डकटठे होते थे । गली-गली में खबर फैल गई कि नादिरशाह मारा गया। उसके विरोधियों ने समझा कि सचमुच वह मारा गया। विरोधियों को विद्रोह करने का एक मौका मिला। बस्तियों के लोग भी उनके साथ हो लिए और नादिरशाह के सैनिकों को मारना शुरू कर दिया। कुछ सैनिक बचकर दरबार पहंचे । शहर की स्थिति बताते हुए

एक सैनिक बोला, "जहांपनाह, आप जीवित हैं । सारे शहर में शोर है कि आप मारे गए। जनता से मिलकर विद्रोहियों ने तमाम सैनिकों को मार डाला।

 यह सुनकर नादिरशाह को पहले तो आश्चर्य हुआ। फिर उसे लगा कि कोई षड्यंत्र है। नादिरशाह ने विद्रोहियों को कुचलने का हुक्म दिया। सिपाहियों ने दिल्ली की गली-गली में लाशें बिछा दीं । सामान्य हालात होने

पर नादिरशाह ने जासूसों से इस अफवाह के फैलने का कारण पता चलाने के लिए कहा।

 

दूसरे दिन ही दिल्ली के चप्पे-चप्पे में जासूस पहुंच गए। कई दिनों तक जासूस घूम-घूमकर पता लगाते रहे। आखिर में जासूसों ने नादिरशाह के सामने खुलासा किया कि यह अफवाह चंडू पीनेवालों ने फैलाई थी।

उसी दिन अफवाह की तरह यह असल खबर भी दिल्ली के कोने-कोने में फैल गई कि 'चंडूखाने की खबर थी'

 

 

 

 

 

 

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