रविवार, 15 मई 2022

बकरी दो गांव खा गई Bakari Do Ganv Kha Gayi

  बकरी दो गांव खा गई

 

बकरी दो गांव खा गई

 

एक प्रतापी राजा था। वह एक यात्रा से वापस आ रहा था। उसके साथ सेनापति, सेवक और अंगरक्षक सैनिक थे। वे प्रात:काल निकले थे और चलते चलते दोपहर हो चुकी थी। हालांकि वे नगर से कुछ कोस दूर थे लेकिन राजा ने थोड़ा रुककर विश्राम करने की इच्छा प्रकट की । इसलिए वे छायादार पेडों को देखते चल रहे थे। इधर-उधर देखते हुए कई गांव पार कर गए। उसके बाद उसे पीपल का एक विशाल वृक्ष दिखाई दिया। चारों ओर गन्ने के खेत थे। खेतों को पार करता हुआ राजा उस पीपल के पेड़ के पास जा पहुंचा।

 उसने देखा कि पीपल के नीचे एक झोपड़ी बनी है और वहीं एक चारपाई पर किसान और उसका लड़का बैठे हुए हैं । झोंपड़ी के दरवाजे से किसान की पत्नी बैठी थी। सामने खेत की फसल कट चुकी थी और उसमें दो बकरियां चर रही थीं। राजा के पास आते ही किसान हाथ जोड़कर खड़ा हो गया । उसकी पत्नी और लड़का भी खड़े हो गए। किसान सीधा-सादा और समझदार था। राजा के राजसी पहनावे को देखकर वह समझ गया था कि यह राजा है। उसने शांत स्वर में कहा, "महाराज प्रणाम । आप चारपाई पर बैठें । "उसकी पत्नी भी सीधी-सादी थी। जैसे ही घर में कोई रिश्तेदार आता है वह उसके लिए पानी लाती है। उसी भाव से वह एक लोटे में पानी लाई और राजा बढ़ा दिया, बिना बोले। राजा विद्वान, दयालु और जनता का प्रिय था ।

वह आम आदमी के सहज व्यवहार और संस्कृति से  भलीभांति परिचित था। इसीलिए राजा किसान और उसके परिवार के सहज व्यवहार से बहुत प्रभावित हुआ। राजा ने भी सहज होकर किसान से बातें कीं । अंत में गन्ने की खड़ी फसल के बारे में बात हुई । किसान ने गन्ने के ताजे रस के स्वाद और तासीर के बारे में बताया। किसान की बात सुनकर राजा अपनी इच्छा को मार नही सका और गन्ने के ताजे रस को पीने के लिए मन हो आया। राजा ने किसान से गन्ने का ताजा रस पिलाने के लिए कहा। किसान बहुत प्रसन्न हुआ वहीं झोपड़ी के पास कुआं था। किसान ने कुएं से पानी खींचा। किसान की पत्नी ने एक लोटे को सफाई से धोया। उधर किसान खेत से मोटा और लंबा गन्ना तोडकर लाया। उसने गन्ने को साफ करके, पानी से धोकर रख लिया। रस निकालने वाले लकड़ी के दो बेलनों से गन्ने से रस निकाला रस से भरा लोटा राजा के आगे कर दिया। राजा ने पहले एक घूंट पीकर चखा। उसे बहुत स्वादिष्ट लगा। और गटगट करके लोटे का पूरा रस पी गया। रस पीते ही राजा का चित्त शांत हो गया। रस की मिठास राजा को बहुत स्वादिष्ट लगी। शक्कर और गुड़ से बिल्कूल अलग। शहद से भी अलग। राजा किसान के सेवाभाव से बहत प्रसन्न था। उसके पैर के पास पडे पीपल के पत्ते को उठाया और उस पर कुछ लिखकर किसान को दे दिया और कहा, "दो गांव तुम्हारे नाम किए । कल दरबार में यह पत्ता लेकर आ जाना। दो गांव का कागज तुम्हारे नाम बना दिया जाएगा। पीपल का पत्ता देकर राजा वहां से चला गया।

वह उस पत्ते को उलट- पुलटकर देखता रहा। उसने पीपल के पत्ते को कुरते की नीचे की जेब में रख लिया । किसान रातभर दो गांवों के सपने देखता रहा। वह सुबह नहा-धोकर दरबार जाने के लिए तैयार हुआ। उसने देखा, पीपल का पत्ता जेब में सही-सलामत है । धोती की किनारी ठीक करने के लिए नीचे झुका। पीछे बकरी बंधी हुई थी । बकरी ने पत्त का डंठल पकड़कर खींच लिया और खाने लगी। जब तक वह छुडाने की कोशिश करता तब तक बकरी पूरा पत्ता खा चुकी थी। फिर क्या था। रातभर दो गांवों का देखा सपना मिट्टी में मिल गया। वह पागल-सा हो गया। वह चिल्लाता हुआ घर से निकलकर भागा। वह कहता जा रहा था, बकरी दो गांव खा गई। बकरी दो गांव खा गई।' जो भी उसकी बात को सुनता, वह कहता कि अरे, यह तो बहुत सीधा-सच्चा आदमी है। पागल कैसे हो गया? कहता जा रहा.है कि बकरी दो गांव खा गई। उससे कुछ लोगों ने रोककर पूछना चाहा कि कहां जा रहा है ? वह रुका नहीं। भागते हुए भी बोलता गया, राजा के पास जा रहा हूं । बकरी दो गांव खा गई।"

दौडता दौडता किसान दोपहर बाद नगर में जा पहंचा। वहां उसे ऊंचा बड़ा सा महल दिखाई दिया। वह दौड़ता हुआ दरवाजे में घुस गया। दरबान उसे पकड़ने के लिए दौड़ा। अदर दरबानों ने उसे पकड़ लिया। वह वहीं लेट गया और चिल्लाने लगा,राजा के पास जाना है। बकरी दो गांव खा गई।" दरबानों ने सोचा कि पागल है लेकिन राजा से मिलने की बात कह रहा है इसलिए राजा को सूचित करना जरूर है। एक व्यक्ति राजा को सूचित करे बाकी हम इसे पकड़कर बैठे हैं।

दरबान ने राजा के पास जाकर कहा कि एक पागल आदमी आया है और आपसे मिलना चाहता है। साथ ही कह रहा है-बकरी दो गांव खा गई। राजा ने उसे दरबार में लाने के लिए कहा। दरबार के सब लोग हैरत में थे। यह पागल कहां से आ गया । कहता है बकरी दो गांव खा गई। उसके आते ही राजा ने पहचान लिया । राजा ने कहा, "इसे छोड़ दो। मेरे पास आने दो। राजा ने सोचा- यह वही किसान है। जिसने कल मुझे गन्ने का रस पिलाया था। पीपल के पत्ते पर दो गांव लिख दिए थे और मैंने आज दरबार में आने को कहा था। लेकिन यह कह रहा है, बकरी दो गांव खा गई। समझ में नहीं आया। अचानक राजा ने सोचा कि लगता है असावधानीवश वह पीपल का पत्ता बकरी ने खा लिया होगा। इसीलिए यह कह रहा है कि बकरी दो गांव खा गई । अचानक राजा को हंसी आ गई और वह ठहाका मारकर हंसा। राजा की इस अचानक हंसी को देखकर पूरा दरबार सन्न रह गया। किसी-किसी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई। राजा बोला, "मुंशी से कहो। इसके नाम दो गांव का पक्का कागज बना दे ।"थोड़ा रुककर कहा, "यह ठीक कह रहा है-' बकरी दो गांव खा गई '

इस घटना को देखकर पूरा दरबार अचरज में डूब गया।

 

 

 

 

 

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